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अंक के प्रमुख आकर्षण
मार्च 2018
संपादकीय

बेईमानों के इस दौर में

युवा संवाद - मार्च 2018 अंक में प्रकाशित

 

बड़ी पीड़ा के साथ कहना पड़ रहा है कि भारतीय समाज मूलतः झूठा और बेईमान है। इसके साथ यह कहने की जरूरत नहीं है कि वह जातिवादी, सांप्रदायिक और पाखंडी है क्योंकि वह तो जगजाहिर है। दिक्कत यह हुई है कि मरीज स्वयं डाक्टर बन बैठा है और वह अपने इन्हीं स्वभावों के आधार पर श्रेष्ठता प्रदर्शित कर रहा है।...

 

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